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Monthly Archives: अगस्त 2007
शौकीन – तीन हिरवटांची कथा
स्त्रीचे तारुण्य – यौवन म्हणा हवे तर – मर्यादित काळासाठी असते, पण पुरुष हा आयुष्यभर – निदान मनाने तरी – हिरवटच रहातो, अशा अर्थाची एक ग्राम्य म्हण आहे. पंचावन्न -साठीच्या आसपास घोटाळणाऱ्या पुरुषाची हीच व्यथा असते. आता सगळ्या जबाबदाऱ्या संपलेल्या … पढना जारी रखे
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