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Monthly Archives: नवम्बर 2009
माझे खाद्य-पेय जीवन-३
‘भूक लागली की खाणे ही प्रकृती, आपल्यातले अर्धे दुसर्याला देणे ही संस्कृती आणि भूक नसताना खाणे ही विकृती’ अशा चमत्कृतीजन्य फालतू सुभाषितांनी इतिहास भरलेला आहे.पोटभर नाश्ता केला की ‘सलाड आणि ग्लासभर ताक’ असले हलकेफुलके जेवण करावे हे पथ्यकर वाक्य डोळ्याआड … पढना जारी रखे
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