-
पुरालेख
- जनवरी 2014
- सितम्बर 2013
- जून 2012
- अप्रैल 2012
- नवम्बर 2011
- जुलाई 2011
- मई 2011
- अप्रैल 2011
- मार्च 2011
- जनवरी 2011
- दिसम्बर 2010
- मई 2010
- फ़रवरी 2010
- नवम्बर 2009
- अक्टूबर 2009
- अगस्त 2009
- जुलाई 2009
- जून 2009
- मई 2009
- अप्रैल 2009
- मार्च 2009
- दिसम्बर 2008
- सितम्बर 2008
- अगस्त 2008
- जुलाई 2008
- जून 2008
- मई 2008
- मार्च 2008
- फ़रवरी 2008
- अक्टूबर 2007
- सितम्बर 2007
- अगस्त 2007
- जून 2007
- मई 2007
- अप्रैल 2007
- मार्च 2007
- फ़रवरी 2007
- दिसम्बर 2006
- अक्टूबर 2006
- सितम्बर 2006
-
मेटा
Monthly Archives: जून 2012
शंभर मिनिटे
खिडकीच्या उघड्या दारातून पहाटेचा गार वारा येतो. पाच मिनिटे. अजून फक्त पाच मिनिटे. हे मनात दोनदा म्हणून झालं की बाकी मी उठून बसतो. बाहेर कधी नव्हे ती शांतता असते. अजून अंधार आहे, पूर्वेला फटफटलेलंही नाही. पंखा बंद केला तरी चालेल … पढना जारी रखे
Uncategorized में प्रकाशित किया गया
7 टिप्पणियां