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Monthly Archives: फ़रवरी 2008
नशीबानं मांडलेली थट्टा – पिंजरा
आसक्ती आणि विरक्ती यांच्यातला संघर्ष निर्मितीक्षम कलाकारांना नेहमीच खुणावत आला आहे. ‘आचार्य‘ आणि ‘काकाजी‘ हे तर सर्वप्रसिद्धच उदाहरण. शांतारामबापूंचा ‘पिंजरा‘ याच कल्पनेवर आधारित आहे. वैराग्याची कवचं घालून शरीर आणि मनाला कडीकुलुपात बंद करुन ठेवलं तरी निसर्गाची सनातन प्रेरणा सतत आतून … पढना जारी रखे
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